SutraSthan Chapter 1 Verse 9.0-10.0
शुक्रार्तव- स्थैर् जन्मादौ विषेणेव विष- क्रिमेः ॥ 9 ॥
तैश् च तिस्रः प्रकृतयो हीन मध्योत्तमाः पृथक् ।
सम-धातुः समस्तासु श्रेष्ठा निन्द्या द्वि- दोष-जाः ॥ 10 ॥
हिन्दी तैश् च तिस्रः प्रकृतयो हीन मध्योत्तमाः पृथक् ।
सम-धातुः समस्तासु श्रेष्ठा निन्द्या द्वि- दोष-जाः ॥ 10 ॥
At the time of conception, genetically various traits are formed in the children like the gender, facial and body feature, eyes color, height, and weight, personality traits, (other factors also), hair color, etc. and according to Ayurveda, the body types are also formed at the same time. It is believed that as the child’s traits came from parents similarly body types also come from parents whichever dosha is dominant at the time of conception.
The prakrti or body constitution is of 7 types according to the combination of doshas.
The prakrti or body constitution is of 7 types according to the combination of doshas.
Due to the dominance of single dosha:
- Vata prakrti: Vata body type consider as inferior quality. (Hina/poor)
- Pitta prakrti: Pitta body type consider as moderate quality. (madhyama)
- Kapha prakrti- Kapha body type consider as good quality. (uttama)
Due to the combination of two doshas:
- Vata- Pitta
- Pitta-Kapha
- Vata-Kapha
Due to the combination of 3 doshas:
- Vata-Pitta-Kapha body type, it is considered as the best quality. (Shrestha)
गर्भाधान के समय, आनुवंशिक रूप से, बच्चों में विभिन्न लक्षण बनते हैं जैसे लिंग, चेहरे और शरीर की विशेषता, आँखों का रंग, ऊँचाई और वजन, व्यक्तित्व (अन्य कारक भी), बालों का रंग, आदि और आयुर्वेद के अनुसार, शरीर की प्रकृति भी उसी समय निरधारित होती हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस तरह बच्चे के लक्षण माता-पिता से आते हैं उसी तरह शरीर की प्रकृति भी माता-पिता से आती हैं जो कि दोष गर्भाधान के समय प्रमुख होता है।
दोषों के मिश्रण के अनुसार 7 प्रकार की प्रकृति हो सकती हैं
एक दोष के प्रभुत्व के कारण:
- वात प्रकृति: वात शरीर के प्रकार को हीन गुणवत्ता का माना जाता है ।
- पित्त प्रकृति: पित्त शरीर के प्रकारों को मध्यम गुणवत्ता का माना जाता है ।
- कफ प्रकृति: कफ शरीर के प्रकारों को अच्छी गुणवत्ता का माना जाता है ।
दो दोषों के संयोजन के कारण:
- वात- पित्त
- पित्त-कफ
- वात-कफ
3 दोषों के संयोजन के कारण:
- वात-पित्त-कफ शरीर प्रकार, यह सबसे अच्छी गुणवत्ता के रूप में माना जाता है। (श्रेष्ठ)
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