Chapter 1 Sutra 6-6.5
वायुः पित्तं कफश् चेति त्रयो दोषाः समासतः ॥ ६ ॥
विकृता-अविकृता देहं घ्नन्ति ते वर्तयन्ति च ।
आयुर्वेद में संक्षेप में तीन दोष माने जाते है - वात, पित, तथा कफ।
ये तीनों वात आदि दोष विकृत होकर शरीर का विनाश कर देते है और अविकृत होकर जीवनदान करते हैं अथवा स्वास्थ्य-सम्पादन करने में सहायक हैं।
ये तीनों वात आदि दोष विकृत होकर शरीर का विनाश कर देते है और अविकृत होकर जीवनदान करते हैं अथवा स्वास्थ्य-सम्पादन करने में सहायक हैं।
In Ayurveda, there are three basic doshas - Vata, Pita, and Kapha.
Perfect balance of three Doshas leads to health, imbalance in Tridosha leads to diseases.
Perfect balance of three Doshas leads to health, imbalance in Tridosha leads to diseases.
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